Tulsi Vivah एक हिंदू धार्मिक पर्व है जिसे तुलसी के विवाह के अनुष्ठान के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का अर्थ है तुलसी, जो एक पवित्र वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक है, उसकी विवाह की रीतिवाज़। तुलसी विवाह हिंदू संस्कृति में महत्व पूर्ण है और यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।
❤️ Shubh Tulsi Vivah 🌼 |
तुलसी, या तुलसी, एक पवित्र पौधा है जो विष्णु की भक्ति में महत्तव रखता है। इसे लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है। tulsi vivah की कथा भगवान विष्णु और तुलसी के बीच प्रेम कथा पर आधारित है। कथानुसर, एक समय पर भगवान विष्णु अपने परम भक्त वृंदा को मोहित करने के लिए उनकी तपस्या रूप में आये। वृंदा, जो तुलसी के रूप में थी, उनको प्रति विशेष प्रेम भावना रख रही थी।
भगवान विष्णु ने वृंदा के सामने अपने असली रूप में आकर उन्हें चक्रायुध और शंख दिखाया, जिससे वृंदा का मन मोहित हो गया। इस पार, वृंदा ने भगवान विष्णु से शादी करने की इच्छा व्यक्त की। भगवान विष्णु ने इस विरोध को स्वीकार किया, लेकिन उन्हें अपने असली रूप को छुपाकर वृंदा के सामने भगवान शालिग्राम के रूप में दर्शन दिए।
इस घटना के बाद, वृंदा ने अपने पति के रूप में शालिग्राम को पहचान लिया। कुछ समय के बाद, एक दुर्घटना में वृंदा का पति मर गया। वृंदा ने अपने पति की मृत देह पर तपस्या की, जिसका कारण उनकी शक्ति ने अपने पति को पुन: जीवित कर दिया, लेकिन उनके रूप में शालिग्राम का साक्षातकार नहीं हो सका।
इस घाटना के बाद, वृंदा ने अपने पति के साथ समर्पण भाव से तपस्या की और भगवान विष्णु ने उनकी तपस्या को स्वीकार किया। विष्णु ने उन्हें शालिग्राम के रूप में अपना आशीर्वाद दिया और कहा कि वर्तमान भविष्य में वह तुलसी पोधा के रूप में प्राप्त होगी। यही कारण है कि तुलसी विवाह में भक्त लोग तुलसी को विष्णु की पत्नी के रूप में पूजते हैं।
Tulsi Vivah के दिन, भक्तों ने तुलसी को सजावत किया जाता है और फिर विष्णु के साथ उनकी रीतिरिवाज के अनुरूप विवाह किया जाता है। इस दिन, भक्त तुलसी को कन्यादान करते हैं और उसके विवाह की परंपरा के अनुसार शादी करते हैं। विवाह के बाद, तुलसी को घर के मंदिर में स्थापित किया जाता है और उसकी सेवा भगवान विष्णु की भक्ति में होती है।
क्या दिन भक्तों में अनुष्ठान, कीर्तन और भ तुलसी जन भी किये जाते हैं। तुलसी विवाह से जुड़ी कथा और रस्मों का महत्व है, जो हिंदू संस्कृति में एक पवित्र और धार्मिक पर्व के रूप में मनाया जाता है।