Shattila Ekadashi 2024: date, महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shattila Ekadashi 2024

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Shattila Ekadashi- का महत्व 

  Shattila Ekadashi 2024: शततिला एकादशी, हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान विष्णु की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास करते हैं और विष्णु भगवान की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। शततिला एकादशी का आयोजन फागुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है।

इस एकादशी का महत्व भगवान कृष्ण के भक्त भीष्म पितामह से संबंधित है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने विशेष भक्त भीष्म पितामह को इस एकादशी का महत्व बताया था और उन्हें इसे व्रत करने की सलाह दी थी। भीष्म पितामह ने इस व्रत का महत्व अपने पुत्रों को बताया और इसे मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आचरण माना।

शततिला एकादशी का उद्दीपन भगवान कृष्ण के बाल लीलाओं से हुआ है। कई बरस पहले, गोपिकाएं अपने साथियों के साथ वृन्दावन में महान संतुलन में रहती थीं और वहां के सभी वृक्षों पर सजीव चारिक लगाती थीं। एक बार वृन्दावन में भगवान कृष्ण ने गोपियों से छुपकर उनके चारिक टूटा दिया और उनकी लीला करने लगे।

गोपियाँ उस चारिक की खोज में बहुत खोज करने लगीं, परंतु वे चारिक नहीं मिला। उन्होंने ब्रजवासियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि चारिक गोपियों के साथ चुराया गया है और यदि कोई उसे लाएगा तो उसे बड़ी श्रद्धा और भक्ति से इसे पूजेगा, तो उसे फिर से वापस मिल जाएगा।

गोपियाँ बहुत समय तक चारिक की खोज में लगी रहीं, लेकिन वे उसे नहीं मिला। तब भगवान कृष्ण ने गोपियों को यह सिखाने के लिए इस समस्या का हल बताया कि वे शततिला एकादशी का व्रत करें और विशेष रूप से उन्हें पूजें।

गोपियाँ ने भगवान कृष्ण की सीख को मानकर शततिला एकादशी का व्रत रखा और विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की। उनकी भक्ति और श्रद्धा से भगवान विष्णु ने उनकी मनोकामना पूरी की और उन्हें चारिक वापस मिला।

इस प्रकार, शततिला एकादशी

2024 षटतिला एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 5 फरवरी के दिन शाम 05 बजकर 24 मिनट से एकादशी तिथि की शुरुआत हो रही है, जो 06 फरवरी को शाम 04 बजकर 07 मिनट तक रहेगी और षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त यानी अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से 01 बजकर 15 मिनट तक है.


षटतिला एकादशी की पूजा विधि

Shattila Ekadashi 2024

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षटतिला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू उपवास दिवस है। इस दिन की पूजा में अनुष्ठानों और प्रथाओं की एक श्रृंखला शामिल होती है। षटतिला एकादशी पूजा करने के लिए, इन चरणों का पालन करें:

1- तैयारी:

 अपने घर की सफाई और शुद्धिकरण से शुरुआत करें। पूजा के लिए एक पवित्र स्थान बनाएं।

 आवश्यक वस्तुओं जैसे भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र, दीपक, धूप, फल, फूल, हल्दी, कुमकुम, चंदन का पेस्ट, पान के पत्ते और मेवे की व्यवस्था करें।

 2- प्रातःकालीन अनुष्ठान:

 खुद को शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने के लिए जल्दी उठें और स्नान करें।

 पूजा क्षेत्र में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें।

 दिव्य ऊर्जा का आह्वान करने के लिए दीपक और धूप जलाएं।

3- पूजा विधि:

 षटतिला एकादशी व्रत कथा का जाप करके पूजा शुरू करें, जो दिन के महत्व को बताती है।

 ताजे फल, विशेषकर केले अर्पित करें, क्योंकि ये शुभ माने जाते हैं।

 भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को सजाने के लिए हल्दी, कुमकुम और चंदन के पेस्ट का उपयोग करें।

 आरती करें और भगवान विष्णु को समर्पित भक्ति गीत गाएं।

4- व्रत कथा:

 इस व्रत के पालन के महत्व पर जोर देते हुए और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए, भक्तिपूर्वक षटतिला एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।

5- उपवास:

 अनाज, फलियाँ और कुछ सब्जियों के सेवन से परहेज करते हुए, पूरे दिन सख्त उपवास रखें। कुछ लोग पूर्ण निर्जला व्रत का भी विकल्प चुनते हैं।

6- शाम की रस्में:

 शाम के समय एक बार फिर आरती करें.

 भगवान विष्णु को पान और मेवा अर्पित करके पूजा समाप्त करें।

7- व्रत तोड़ना:

 अगले दिन द्वादशी के दिन शास्त्रों में बताए गए उचित समय पर अपना व्रत खोलें।

 उपवास की अवधि समाप्त करने के लिए सादा और सात्विक भोजन करें।

8- दान:

 व्रत के माध्यम से प्राप्त आध्यात्मिक योग्यता को बढ़ाने के लिए भोजन दान जैसे दान कार्य करने पर विचार करें।

 षटतिला एकादशी पूजा को ईमानदारी, विश्वास और भक्ति के साथ करना याद रखें। मुख्य बात भगवान विष्णु के साथ जुड़ने और कल्याण और आध्यात्मिक विकास के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना है।


FAQ-(सामान्य प्रश्न)


षटतिला एकादशी का पारण कितने बजे है?

एकादशी व्रत का पारण कितने बजे है 2023?

षटतिला एकादशी क्यों मनाई जाती है?

षटतिला एकादशी व्रत कब है?

षटतिला एकादशी को क्या खाना चाहिए?

षटतिला एकादशी 2023 का पारण कब है?


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